
दोस्ती हो या प्यार मैं हीरा चुनता हूं यार,
जितना ताप बढ़ाओगे उतना निखरता जाउंगा।
संघर्ष में साथ रहो तो मैं आजीवन साथ नहीं छोड़ूंगा,
वादा किया तो मरते दम तक निभाउंगा।
किसी के हक में मैं अधूरा नहीं,
जिसका रहूंगा पुरा का पुरा रहूंगा।
विरोधी कहलाना पसंद मुझे गद्दार नहीं,
मैं जिसका साथ दूंगा खुलकर समर्थन करूंगा।
दुनिया से लड़ना भी पड़े तो एक छन न सोचूंगा।
तुम्हारा हर तकलीफ मेरा होगा और
मैं तुफानो से कस्ती हर बार बाहर लाउंगा।
राह चलते चलते राहे बदलना मेरी फितरत नहीं,
मैं हर किसी लिए लड़़ता नहीं।
मेरे आदर्शों में किंतु परंतु का प्रावधान नही होगा,
मैं तुम्हारा हूं तुम्हारा ही रहूंगा।
मर्यादा और मान रहे रिश्तों में सम्मान रहे,
जहां कद्र न हो वहां वक्त न जाया करे।
मैं जैसा हूं वैसा ही रहूंगा,
मुझे सादगी पसंद मैं दिखावा नहीं करुंगा।
तुम वचन पर रहे अडिग तो मैं भी वचन नही तोड़ूंगा,
है स्वीकार तो फिर साथ चलूंगा।
मैं विपक्ष में बैठा हूं तुम पक्ष में कर लो,
देकर समर्थन तुम सरकार बना लो।
अनियमित वाला कोई काम नहीं करूंगा,
तुम्हारे साथ जीना तो तुम्हारे साथ मरूंगा।
स्वाभिमान से समझौता नहीं करूंगा,
मैं कदम कदम पर इम्तिहान नही दूंगा।
मुझे परखने वालो,
मैं तुम्हें इस जन्म में समझ में नहीं आऊंगा।
मुझे समझने वालो बस इतना समझना,
मैं जिसका हो गया हो हो गया फिर ना लौट पाऊंगा।
दोस्ती हो या प्यार मैं हीरा चुनता हूं यार,
जितना ताप बढा़ओगे उतना निखरता जाउंगा।
कवि: नीतिश कुमार
Kavi: Nitish Kumar
Publish By The DN Classic copyright holder 28th August, 2022.