
मन की बात
मन बुद्ध भी, मन युद्ध भी।
मन निश्चल भी, मन छल भी।
मन हार भी, मन जीत भी।
मन चंचल भी, मन विचलित भी।
मन पवित्र भी, मन चरित्र भी।
मन अंहकार भी, मन संस्कार भी।
मन विचार भी, मन विश्वास भी।
मन ओछ भी, मन बड़ी सोच भी।
मन सम्राज्य भी, मन छोटा भूभाग भी।
मन शक्ति भी, मन भक्ति भी।
मन गति से तेज भी, मन मंद भी।
मन निर्माण भी, मन विध्वंश भी।
मन समस्या भी, मन समाधान भी।
मन मुश्किल भी, मन आसान भी।
मन आशा भी, मन निराशा भी।
मन सुख भी, मन दुख भी।
मन शांत भी, मन अशांत भी।
मन ध्यान भी, मन ज्ञान भी।
मन दुष्ट भी, मन संत भी।
मन शून्य भी, मन अनंत भी।
कवि: नीतिश कुमार
Kavi: Nitish Kumar
Publish By The DN Classic copyright holder 17th December, 2022.