
जिस दिन खुद को खुद से बेहतर समझने वाला मिल जाता है,
उसी दिन इतिहास रचा जाता है।
नदी भी समंदर बन जाता है,
जब सहयोग बारिश का भरपूर मिल जाता है।
एक बूंद से भी प्यास मिट जाती है,
अगर अमृत मिल जाता है।
हमसफ़र अगर सच्चा हो तो हर शख्स बुलंदी पे होता है,
ताज की जरूरत ही नहीं दौरें ए जहां में हुकुमत होता है।
कोई ऐसे मिलता है कि,
अकेले को काफिला बना देती है।
खुद को महारानी,
चाहत को बादशाह बना देती है।
कवि: नीतिश कुमार
Kavi: Nitish Kumar
Publish By The DN Classic copyright holder 9th July,2023.