अकेले को काफिला बना देती है

अकेले को काफिला बना देती है

जिस दिन खुद को खुद से बेहतर समझने वाला मिल जाता है, उसी दिन इतिहास रचा जाता है। नदी भी समंदर बन जाता है, जब सहयोग बारिश का भरपूर मिल जाता है। एक बूंद से भी प्यास मिट जाती है, अगर अमृत मिल जाता है। हमसफ़र अगर सच्चा हो तो हर शख्स बुलंदी पे होता है, ताज की … Read more

सूचित कर रहा हूं संवाद

सूचित कर रहा हूं संवाद

अब वक्त आ गया, सूचित कर रहा हूं संवाद। जागो हिन्द के लाल फिर से बुलंद करो इंकलाब। फिर से बुलंद करो इंकलाब वक्त के आधियों से बेखबर हो तुम, हर तरफ है उजाला कुछ अंधेरो से बेखबर हो तुम। ये जो सत्ता सतरंज का चाल बना है, सांप नेवले का प्रहार बना है। तुम … Read more

धरती है माता पेड़ पुत्र समान

धरती है माता पेड़ पुत्र समान

तुम्ही से चंदा,तुम्ही से सूरज, तुम्ही से बादल,तुम्ही से सावन। तुम्ही से धरती,तुम्ही से अंवर, तुम्ही हो रक्षक,तुम्ही हो भक्षक। तुम्ही समझ न सके माँ की करुणा न धरा हरा न रंगीन आसमां । दर्द के दर्पण में झांक कर देखो तुम , खग बिना आसमां वीरान। पेड़ बिना जमी बंजर , बिन पानी जीवन … Read more

मैं तुम्हारा हूं तुम्हारा ही रहूंगा

मैं तुम्हारा हूं तुम्हारा ही रहूंगा

दोस्ती हो या प्यार मैं हीरा चुनता हूं यार, जितना ताप बढ़ाओगे उतना निखरता जाउंगा। संघर्ष में साथ रहो तो मैं आजीवन साथ नहीं छोड़ूंगा, वादा किया तो मरते दम तक निभाउंगा। किसी के हक में मैं अधूरा नहीं, जिसका रहूंगा पुरा का पुरा रहूंगा। विरोधी कहलाना पसंद मुझे गद्दार नहीं, मैं जिसका साथ दूंगा … Read more

बचपन वाला खेल निराला था

बचपन वाला खेल निराला था

चलते-चलते गिर जाऊं मैं मां हाथ थाम लेती है, कोई न समझा हमको सिर्फ वही समझती है। जिद मैं करूं चांद सितारों का मां इनकार नही करती, झूठा ही सही मगर सामने आसमान होता था। चांद सितारें सब अपने हाथों में रहता था, मैं अपने मां का बेटा राजदुलारा था। इस जवानी से बेहतर बचपन … Read more

फिर बसंत आया है

फिर बसंत आया है

फिर बसंत आया है, रंगो का त्यौहार लाया है। बादल भी बरसने को बेताब है, बनके खूशबू बिखरने को तैयार है। अजब सी मादकता है बसंत तुझमें, सब रंग चुके हैं तेरे रंग में। मस्त हवाओं का आना जाना है, ये मौसम बड़ा सुहाना है। ये बहका-बहका मंद-मंद ये बादल, ला रहा है जैसे सुहाना … Read more

प्रकृति ही प्राण है

प्रकृति ही प्राण है

निगाहें चेहरों में ढूंढ़ता खूबसूरती है, असल में जन्नत तो ये प्रकृति है। इंसान का औकात उसके रुतबे से मापा जाता है, बेसकिमती सांसे देने वाली ये प्रकृति क्या मांगता है। है निशस्त्र तो यूं ही तबाह करते जा रहे हो, जिस दिन इसने दिखा दिया अपना रौद्र रूप मौत के आगे-आगे भागोगे। रोक न … Read more

बेटी हूं बोझ नही

बेटी हूं बोझ नही

बेटी हूं बोझ नहीं, तुम्हारे उम्मीदो से गिरा सोच नही। कोई फर्क नहीं पड़ता तुम कौन हो, जिस कोख से जन्म लिया उसी पर मौन हो। मेरी संवेदनाओं का तमाशा क्यूं बनाया जाता है, मेरी आने की आहट मात्र से सन्नाटा छा जाता है। मेरे अपने ही मुझे मारने कि साजिश करता है, इसीलिए तो … Read more

जीवन स्वयं युद्ध है

कवि नीतिश कुमार

  जीवन चक्र आसान नहीं, अपने हाथ में लगाम नहीं। लेकिन क्या कर सकते हो? युद्ध से पहले अभ्यास कर सकते हो। पराजय प्रयास है साहस विजयी, युद्ध का नियम है यही। डटे रहो अपने निश्चय वचन पर, ध्यान रहे केवल मंजिल पर। रणनीति सुनिश्चित करो, लक्ष्य तुम्हारा जीत हो। जिन्दगी रणभूमि का मैदान है, … Read more

मन की बात

“मन की बात”

मन की बात मन बुद्ध भी, मन युद्ध भी। मन निश्चल भी, मन छल भी। मन हार भी, मन जीत भी। मन चंचल भी, मन विचलित भी। मन पवित्र भी, मन चरित्र भी। मन अंहकार भी, मन संस्कार भी। मन विचार भी, मन विश्वास भी। मन ओछ भी, मन बड़ी सोच भी। मन सम्राज्य भी, … Read more